राखी की डोरी भाई के जीवन में शुभ शक्तियों का संचार करती है। यह नाजुक धागा भाई को संकटों से बचाता है। सही मायनों में बहन की रक्षा का संकल्प चाहे भाई द्वारा देने का रिवाज हो पर वास्तविकता यह है कि बहन के शुभ हाथों से बंधा यह धागा भाई का बाहरी ताकतों, आपदा और कष्टों से रक्षा करता है।
राखी बंधने के बाद भाई अगर अपनी राशि के अनुसार शुभ दान करें तो राखी का यह बंधन उनके लिए और भी पवित्र हो जाता है। रक्षाबंधन यानी राखी का पर्व भाई-बहन के प्यार का त्योहार है, एक मामूली सा धागा जब भाई की कलाई पर बंधता है, तो भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार हो जाता है। रक्षाबंधन का इतिहास काफी पुराना है, जो देव युग, महाभारत काल और सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। राक्ष को पहले ‘रक्षा सूत्र’ कहते थे। यह रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से रही है जबकि व्यक्ति को यज्ञ, युद्ध, आखेट, नए संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के दौरान कलाई पर नाड़ा या सूत का धागा जिसे ‘कलावा’ या ‘मौली’ कहते हैं- बांधा जाता था।
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