यदि ऐसा है तो अपना यह व्यवहार बदल लें और सवाल पूछने में देर न करें। कुछ माता पिता की ऐसे होती है की वो आपने बचो से कभी सवाल नहीं करते यह उनकी सबसे बड़ी गलती बन सकती है , इसलिए उनको सवाल करना चाहिए वो भी बड़े विनम्रता से जिससे बचे खबराए नहीं।
कुछ सवाल तो जीवनसाथी से भी होते रहने चाहिए। सवाल पूछने में बुराई नहीं है लेकिन, सवाल पूछने का भी तरीका होता है। दो तरीके से पूछे जाते हैं। पहला अहंकार के साथ और दूसरा सरलता के साथ। यदि अहंकार से सवाल पूछ रहे हैं तो उत्तर शायद परेशान करे और समाधान भी नहीं मिलेगा। इसलिए विनम्रता से से सवाल करे तथा उसका उतर भी सुने।
आपने उतर न दे और आपने ज्ञान को थोड़ा विश्राम दे दीजिए फिर उत्तर सुनिए। जब तसल्ली से उत्तर सुन लें तब अपने ज्ञान, उतर व जानकारी का उपयोग कीजिए। पता नहीं कौन-सा उत्तर आपके लिए प्रेरणा बन जाए। दुनिया में कोई यह दावा नहीं कर सकता कि उसके पास हर प्रश्न का उत्तर है।
सभी के पास अपने-अपने उत्तर होते हैं। सवाल पूछने की क्रिया का लाभ यह है कि इससे अहंकार गिरता है। सरलता से पूछेंगे, श्रद्धा से सुनेंगे तो आपकी जानकारी बढ़ जाएगी।