हमारे सौर मंडल में नौ ग्रह होते है उनमे से सबसे प्रभावशाली ग्रह होता है शनि। शनि ग्रह को बहुत ही न्यायाधीष माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी ग्रह से हमे हमारे कर्मों के फल मिलते है। आपकी कुंडली में जिस भाव में शनि है उसकी स्थिति के अनुसार जीवन में सुख दुःख मिलते है। आज के लेख में जानिए कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार आपके लिए यह शुभ है या अशुभ।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि प्रथम भाव में है तो इसका मतलब व्यक्ति सुखी जीवन जीने वाला है। अगर इस भाव में शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और गलत काम करने वाला हो सकता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि द्वितीय भाव में है तो व्यक्ति लालची हो सकती है। ऐसे लोग विदेश से धन लाभ कमाने वाले होते हैं।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि तृतीय भाव में है तो व्यक्ति संस्कारी, सुंदर शरीर वाला थोड़ा आलसी होता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है तो वह जीवन में अधिकतर बीमार और दुखी रहता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि पंचम भाव में है तो व्यक्ति दुखी रहता है और दिमाग से संबंधित कामों में परेशानियों का सामना करता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि षष्ठ भाव में है तो वह सुंदर, साहसी और खाने का शौकीन होता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि सप्तम भाव में है तो व्यक्ति बीमारियों से परेशान रहता है। गरीब का सामना करता है। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि अष्टम भाव में है तो व्यक्ति किसी भी काम में आसानी से सफल नहीं हो पाता है। जीवन में कई बार भयंकर परेशानियों का सामना करता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि नवम भाव में है तो, धर्म-कर्म में विश्वास नहीं करता है। इनके जीवन में अधिकतर पैसों की कमी बनी रहती है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि दशम भाव में है तो व्यक्ति धनी, धार्मिक होता है। ऐसे लोगों को नौकरी में कोई ऊंचा पद मिलता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि एकादश भाव में है तो वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, स्वस्थ रहता है। इन्हें सभी सुख मिलते हैं।
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में शनि द्वादश भाव में है तो व्यक्ति अशांत मन वाला होता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि अशुभ भाव में है तो क्या करे?
जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है, उन्हें हर शनिवार तेल का दान करना चाहिए। शनिवार को पीपल की पूजा करें और सात परिक्रमा करें।
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